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उपयोगी बातें 3

  • Writer: R. P. Yadav
    R. P. Yadav
  • Sep 22, 2017
  • 1 min read

तू मूझे नवाज़ता है, ये तेरा करम है मेरे खुदा,

वरना तेरी मेहरबानी के लायक मेरी इबादत कहाँ,


रोज़ गलती करती हू, तू छुपाता है अपनी बरकत से,

मै मजबूर अपनी आदत से, तू मशहूर अपनी रेहमत से,


तू वैसा ही है जैसा मैं चाहता हूँ...... बस.. मुझे वैसा बना दे जैसा तू चाहता है

 
 
 

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