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भजन, सत्कर्म और तीर्थयात्रा ही जीवन है जिस दिन ये समाप्त उस दिन जीवन भी समाप्त, क्योंकि इनके बिना इन्सान मुर्दे के सामान है I

सुविचार

          जिस दिन भगवान को पाने की इच्छा जागृत हो जायेगी, उसी दिन से संसार से कुछ भी पाने की इच्छा समाप्त हो जायेगी I जब हमें संसार से मान - सम्मान, पद - प्रतिष्ठा और स्वयं की तारीफ अच्छी न लगे, तब समझ लेना चाहिए की भगवान् को पाने की इच्छा उत्पन्न हुई है I

          जब हम भगवान् को चाहते हैं तब हमें अपमान, दुःख और किसी भी प्रकार की प्रतिकूलता में भी प्रसन्नता और आनंद का अनुभव होता है I

           राम फेर यादव 

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